Saturday, December 9, 2017

महिलाओ के विरूद्ध हिसा

आज महिला हिंसा के खिलाफ मनाये जा रहे पखवाडा का अन्तिम दिन है. विश्वभर मे महिलाओं के खिलाफ हिंसा को नकारने और महिलाओ को न्याय, समता समानता दिलाने के प्रयोजन से ही अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर यह पखवाडा मनाया जाता है. हर देश मे महिलाओ की विभिन्न स्तर पर हिंसा की घटनाये देखने को मिलती है. हमारे देश भारत मे महिलाओं के साथ यौनिक हिसा,  जातिय हिसा , आर्थिक गुलामी, सिविल राईट से वंचित , बेगारी, छुआ-छूत,  साम्प्रदायिकता,  कुपोषण, असमान वेतन, गैर बराबरी उनके जीवन मे हिंसा का विकृत रूप ले कर आता है.

भारतीय सभाज मे महिलाओ को दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता रहा है. भारतीय संस्कृति  विभिन्न
धर्मो की जकडबनदी  के शिकंजा मे किसी हुई है. त्योहारों  के नाम पर पुरूष महिमामंडन के अतिरेक  मे स्त्रियो को पूजा पाठ, उपवास, या पानी मे खडे हो कर सूर्य पूजा करने से ले कर होली के अवसर पर होलिका दहन स्त्रि दहन मे महिलाओं को आगे करके उल्लास मनाया जाता है और महिलायें अपनी धार्मिक भावनाओ के साथ ये भी भूल जाती  हैं कि वे खुद एक औरत है
शादी मे एक बडी परम्परा  है कि कन्या दान की जाये? क्यू  क्या  वह इन्सान  नही? कन्या दान  दहेज, तिलक गरीब से गरीब और अमीर, पूँजीपति सब इसलिये करते  है कि उन्हे  सवरग  मिले.  सम्पत्ति मे लडकी के अधिकार को नकार कर उसे खुद से अलग कर देते है. परम्पराओं के नाम पर छोटा मोटा गिफ्ट या कैश दे  कर  अपने बडप्पन भी दिखा देते है. पढाई लिखाई बीच मे रोक कर शादी करके अपने फर्ज से हाथ झाड़ लेते है
बिहार झारखंड की यात्रा के दौरान मैने महसूस किया आज भी यहां का समाज सामन्त युग मे जी रहा है. रेल यात्रा के दौरान देखा कि महिला डिब्बे मे पुरूष भरे पडे है.  न केवल भरे पडे है बल्कि महिलाओ के लिये कोई जगह ही नही है. यहाँ तक कि जवान जवान लडके सीट हथियाये बैठे रहते है बुजुर्ग  महिलाये, छोटे  छोटे बच्चो को गोद मे लिये महिलाये ,छात्राएँ  कामकाजी मजदूर महिला ऐ घनटो खडे हो कर, भिच भिच कर  फर करती  हैं. जरनल डिब्बा  हो या महिला डिब्बा सब जगह एक जैसा माहौल है, महालाऐ इस नाइंसाफ़ी के खिलाफ कुछ नही बोलती

असमान वेतन, न्यूनतम वेतन न मिलना आ स पास गाव देहातों मे गन्दगी के ढेर और मर्दानगी भरा माहौल घर बाहर का काम, शराब पी कर औरतो को पीटने के कृत्य  हैरान नही करते. ऐसे समय मे जब हिसा के खिलाफ अभियानों मे महिलाओ के दुखो की दास्ताँने खुल कर सामने आती. महिलाओ को 50 प्रतिशत स्थानीय निकायों में जगह दी गयी है परन्तु  उनके हिस्से के अधिकारों का उपयोग पति व बेटे करते है. इन महिलाओ को प्रशिक्षण भी नही दिया जाता. सरकारी योजनाओं तक की जानकारी नही होती ऐसे मे अपने अधिकारो का इसतेमाल कैसे कर  सकेगी

महिलाओ पर हिंसा न हो ज़रूरी है पुरूषो को  सम्वेदनशील बनाया जाये और महिलाओं की शिक्षा अनिवार्य हो
उन्हे स्वावलंबी बनाये बिना उनकी शादी न हो

Friday, January 6, 2017

फातिमा शेख




सावित्री बाई फुले और उनके कार्यो के बारे में अब समाज को कुछ जानकारी मिली है. उत्तेर भारत का महिला आन्दोलन भी कुछ उनेह जानने लगा है. दलित महिलाओ ने उनके जीवन को केन्द्रित करके अपने संगठनो  को उनकी विचार धरा को आत्मसात किया है और उनके बताये रस्ते पर चल कर अपना आन्दोलन विकसित कर रही है
सावित्री बाई फुले पर हिंदी में पहली किताब प्रकाशन विभाग से प्रकाशित हुई जो महिलाओ तक अपनी पहुँच बनाने में असमर्थ रही. उत्तर भारत  में हिंदी में दूसरी पुस्तक सावित्री बाई फुले की जीवनी सेंटर फार आल्टर नेटिव दलित मिडिया द्वारा जनहित में  प्रकाशित की. झोडगे बाई की मराठी में लिखी इस पुस्तक को    हमने अनुवाद करायी शलेश और शेखर पवार से. अनुवाद हिंदी भाषाई न होने के कारन पुनर लेखन किया कुछ साथियों ने छपने में सहयोग किया

आज पूर्वे भारत में सावित्री बाई फुले के जन्मदिन को कुछ लोग शिक्षा दिवस मानते है  महिलाए और महिला आन्दोलन  ३ जनवरी को भारतीय महिला दिवस के रूप में मानाने लगे है . राष्ट्रिय दलित महिला आन्दोलन के बैनर और नेतृत्व  में  2014 से (भारुलाता काम्बले एवं रजनी तिलक ) महिला दिवस बनाना शुरू किया.

आज हमें फातिमा शेख के जीवन के बारे में खोज करने की जरुरत पद गयी है उम्मीद है जल्द ही उनके जीवन के बारे में जानकारी खोज निकालेंगे Fatima Sharif ke friends I would like no I would like to know about Fatima Shaikh I search at Google at Wikipedia enquiry with my friends about Fatima Shaikh and her life story and there is work why I did find wind and would you can help me to explain about it myself whether it can be Hindi or it can be English or Marathi please let me know about other shit Fatima Shaikh