पुरे देश में योग के साथ कसरत पूरी हुई . देश के प्रधानमंत्री ने राजपथ पर योग का भारत की अगुआई में पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बनाया . यह दिवस १९२ देशो के २५१ देशो में बड़े उत्साह से मनाया गया. .दिल्ली देश की राजधानी दिल्ली के राजपथ पर ३५ हजार लोगो के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी अपने मंत्रीमंडल और अधिकारियो समेत स्वम् योग करने और कराने के लिए उपस्थित हुए थे. यह कोई नयी बात तो नहीं परन्तु योगा पर ध्यान केन्द्रित हुआ है यह विशेष बात जरुर है
मुझे याद है कि गोल डाकखाने के पास मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ योगा है जन्हा हम कालेज के समय योग सीखने जाते थे . मै तो ज्यादा दिन नहीं जा पाई मेरी सहेलिया जरुर नियमित रूप से योगा सिखने जाती थी. ये इंस्टिट्यूट योग टीचर का 40 दिन से तीन महीने का कोर्स कराता था उसके बाद योग अध्यापक की नोकरी भी मिल जाती थी .मेरी एक मित्र नीलम जो पहाड़ी मूल थी, सरकारी नोकरी में हम दोनों एक साथ आये थे . उसने नोकरी से छुट्टी ले कर योग टीचर कोर्से किया था. तरह तरह के आसन के बारे में वो हमें बताती थी . विशेषटी कुंजल के बारे में बताती थी की सुबह उठ कर कुंजल करने से हमारे पेट के आसपास अन्दर की गंदगी निकल जाती है और गला भी साफ रहता है . मैंने भी उससे कुंजल करना सीखा था.
पिछले वर्षो वाट रोग और अस्थमा होने के कारन मैंने सोचा था कि योग पूरा सीखा जाए . जब मै मोररार्जी संसथान में गयी तो पता चला कि सुबह ६-९ या ३-६ के सत्र है कुछ फीस भी थी . समय विकल्प न होने की वजह से सोचा घर पर ही कुछ टिप्स ले लू . एक मित्र ने फोन न. दिया की आप घर सीख ले .फ़ोन न के कर बात करने पर पता चला कि घर आ कर सिखाने के लिए 500 एक घंटा और कम से कम २० दिन सीखना होगा . योग सीखना इतना महंगा हो गया . उस समय मुझे महसूस हुआ की योग अब मध्यम वर्ग का फैशन हो गया है क्योंकि टीवी पर डांस के साथ योगा न्यूस चैनल का विशेष कार्यक्रम होने लगे. मिडल क्लास कालोनियों में योग का प्रचलन शुरू हो गया था. योग सुबह सुबह महिलाओ का अलग ग्रुप और पुरुषो का अलग ग्रुप देखने को मिलता. मेडिटेशन करने की ललक भी मिडिल क्लास में देखने को बहुत मिलती है
अब सवाल योग और मेडिटेशन के इतिहास और उनके स्त्रोत पर जाता है. हमारे भाई जो अम्बेडकरवादी है और जो बुद्धिस्ट है कह रहे है कि योग हमारी विरासत है . बुद्ध ने जब घर छोडा तब सबसे पहले उन्होंने योगविद्या सीखी और वो उसमे सिध्हस्त हुए... अंत में मेडिटेशन में . बुद्धा द्वारा तन और मन को समझने की विद्या के साथ साथ माध्यम मार्ग और सभी तरह के पावर को समझने की , दुखो को दूर करने के उपदेश हमारे सम्मुख है फिर भी हमारे बोध विहारों में इस तरह के अभ्यास क्यों नहीं हो पाते . जो काम हमें अपने प्रयास से करने चाहिए .. न कर पाने की स्थिति में हमर खिन्न होना स्वाभाविक है . योग गरीब आदमी के लिए उसके परिश्रम में मौजूद है .. उसकी सामूहिकता में सहजता और मित्रता है जो उसे सहज रखती और खान पान में दुरुस्त . योग की जरुरत आज आराम परस्त , माध्यम वर्ग को है जो अनियमित जीवनचर्या और खान पान और दिखावे की जिन्दगी का आदि हो रहा है .. उसे जरूरत है.. वह सुबह जल्दी उठे .. कुछ काम न करे तो योग तो करे जिससे उसका शरीर स्वस्थ रह सके
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