दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट फैकल्टी 22 नम्बर कमरे में दो दिन का राष्ट्रिय संगोष्ठी में दलित समाज के आधारभूत प्रश्न : विशेष सन्दर्भ साहित्य, शिक्षा और संस्कृती , डॉ श्योराज सिंह बैचैन के संयोजन में हुआ . 30 -31 मार्च को हुए इस कार्यक्रम में काफी जाने पहचाने व्यक्ति शामिल हुए. मै आमंत्रित नहीं थी फिर भी अपनी व्यस्तता से कुछ समय निकाल कर गयी. साथ में डॉ सुशीला तान्क्भोरे भी थी वो एक दिन पहले ही हमारे घर नागपुर से आई थी. डॉ रेखा रानी और शरण कुमार लिम्बाने जी से भी मिलना था और सोचा बाकियों से भी मुलाक़ात हो जाएगी. उसी दिन २ बजे एक स्तर में अध्यक्षता के लिए भी जाना था अतः जल्दी जल्दी मिल कर निकल जाना था. डॉ रेखा रानी तो नहीं आई और निम्बाने जी भी नहीं दीखे. साहित्यकार कलि चरण स्नेही ,डॉ नामदेव, मंच पर थे. दिसोदिया और अनुरागी भी नजर आई . बहुत से छात्रो ने हमे पहचान लिया था. शोध छत्रो सर हॉल भरा हुआ था.
हमने पत्रिका ली और पढ़ कर देखा तो हैरान थी .. वैसे हैरान होना तो नहीं चाहिए था . कुल वक्ता अध्यक्षता करने वालो में 44 लोग थे जिनमे मात्र ३ लेखिकाए ही थी जिनमे से एक अनुपस्थित थी . डॉ श्योराज सिंह बैचैन ने इस गोष्ठी में नवोदित और वरिष्ठ लेखको को बुलाया . दलित पत्रिकाओ के सम्पादकों को भी आमंत्रित किया. लेखिकाओ को क्यों नहीं आमंत्रित किया ? क्या इसलिए डॉ धर्मवीर को बुलाया था . या इस लिए की वो आज भी लेखिकाओ की गिनती में नहीं मानते ? हालाँकि रजनी अनुरागी का भाषण देते हुए एक फोटो फेस बुक पर शेयर किया गया है तो इसका मतलब उन्होंने उसे आमन्त्रण दिया होगा परन्तु पत्रिका में उसका नाम नहीं था.
मै जो सवाल उठा रही हु क्या वो गलत सवाल है? क्यों हम डॉ आंबेडकर को इतना गाते है? जब हम महिलाओ को प्रतिनिधित्व तक देना नहीं चाहते. दलित आदिवासी अल्पसंख्यक और पिछड़े समाज में स्त्री विरोधी मानसिकता कब बदलेगी ? /
हमने पत्रिका ली और पढ़ कर देखा तो हैरान थी .. वैसे हैरान होना तो नहीं चाहिए था . कुल वक्ता अध्यक्षता करने वालो में 44 लोग थे जिनमे मात्र ३ लेखिकाए ही थी जिनमे से एक अनुपस्थित थी . डॉ श्योराज सिंह बैचैन ने इस गोष्ठी में नवोदित और वरिष्ठ लेखको को बुलाया . दलित पत्रिकाओ के सम्पादकों को भी आमंत्रित किया. लेखिकाओ को क्यों नहीं आमंत्रित किया ? क्या इसलिए डॉ धर्मवीर को बुलाया था . या इस लिए की वो आज भी लेखिकाओ की गिनती में नहीं मानते ? हालाँकि रजनी अनुरागी का भाषण देते हुए एक फोटो फेस बुक पर शेयर किया गया है तो इसका मतलब उन्होंने उसे आमन्त्रण दिया होगा परन्तु पत्रिका में उसका नाम नहीं था.
मै जो सवाल उठा रही हु क्या वो गलत सवाल है? क्यों हम डॉ आंबेडकर को इतना गाते है? जब हम महिलाओ को प्रतिनिधित्व तक देना नहीं चाहते. दलित आदिवासी अल्पसंख्यक और पिछड़े समाज में स्त्री विरोधी मानसिकता कब बदलेगी ? /